ब्रेल पुस्तक "आपदा से सबक" का विमोचन: दृष्टिबाधित बच्चों को आपदा प्रबंधन की राह दिखाएगी

ब्रेल पुस्तक "आपदा से सबक" का विमोचन: दृष्टिबाधित बच्चों को आपदा प्रबंधन की राह दिखाएगी
ब्रेल पुस्तक "आपदा से सबक" का विमोचन: दृष्टिबाधित बच्चों को आपदा प्रबंधन की राह दिखाएगी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में दृष्टिबाधित बच्चों के लिए एक अनूठी पहल ने आज मूर्त रूप लिया, जब उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने ब्रेल लिपि में तैयार पुस्तक "आपदा से सबक" का विधिवत विमोचन किया। यह पुस्तक प्रदेश के तीन समर्पित शिक्षकों—राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त सुश्री के. शारदा, श्री धर्मानंद गोजे और श्रीमती प्रीति सांडिल्य—की मेहनत का नतीजा है, जो दृष्टिबाधित बच्चों को आपदा प्रबंधन और सुरक्षा के गुर सिखाएगी। 

रायपुर में उपमुख्यमंत्री आवास पर आयोजित इस समारोह में शिक्षकों और दृष्टिबाधित विद्यार्थियों की मौजूदगी ने कार्यक्रम को और विशेष बना दिया। उपमुख्यमंत्री ने इस पुस्तक को "जीवन रक्षक मार्गदर्शिका" करार देते हुए कहा, "यह पुस्तक दृष्टिबाधित बच्चों के लिए न केवल शैक्षिक सामग्री है, बल्कि आपदा की घड़ी में आत्मरक्षा और सूझबूझ का एक शक्तिशाली उपकरण भी है। यह पहल समावेशी शिक्षा और दिव्यांग सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।" 

 पुस्तक की विशेषताएं और निर्माण 

100 पृष्ठों की इस ब्रेल पुस्तक को छत्तीसगढ़ ब्रेल विकास संस्थान की अत्याधुनिक ब्रेल प्रेस में मुद्रित किया गया है। इसमें **टैक्टाइल चित्र, चार्ट्स और ब्रेल ग्राफ्स** शामिल हैं, जो दृष्टिबाधित बच्चों के लिए सामग्री को समझने में सहायक होंगे। पुस्तक में प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़, आग, चक्रवात के साथ-साथ कोविड-19 जैसी जैविक आपदाओं से निपटने के उपाय शामिल हैं। यह पांच खंडों में विभाजित है:

- आपदा की परिभाषा और प्रकार

- आपदा से पूर्व की तैयारी

- आपदा के समय की रणनीति

- प्राथमिक उपचार और बचाव

- पुनर्वास और सहायता संसाधन

पुस्तक की सामग्री राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) और विशेषज्ञों की मदद से तैयार की गई है। संपादकीय टीम ने 6 महीने के अथक परिश्रम और 20 से अधिक पुनरीक्षण सत्रों के बाद इसे अंतिम रूप दिया।

 शिक्षकों का योगदान और दृष्टिकोण

सुश्री के. शारदा ने कहा, "हमारा लक्ष्य था कि दृष्टिबाधित बच्चे आपदा के समय आत्मनिर्भर बन सकें। यह पुस्तक उनकी वास्तविक जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई है।" श्री धर्मानंद गोजे ने जोड़ा, "यह पुस्तक दृष्टिबाधित बच्चों को मुख्यधारा की सुरक्षा नीतियों से जोड़ने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।" वहीं, श्रीमती प्रीति सांडिल्य ने इसे राज्य सरकार के समर्थन का परिणाम बताते हुए कहा, "हमें विश्वास है कि यह पुस्तक बच्चों में सुरक्षा और आत्मविश्वास की भावना जगाएगी।"

 निःशुल्क वितरण की योजना

इस पुस्तक की 100 प्रतियां छत्तीसगढ़ के 20 दृष्टिबाधित विद्यालयों में निःशुल्क वितरित की जाएंगी। वितरण का खर्च संपादकीय मंडल वहन करेगा। रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, कांकेर, जशपुर, कोरिया, राजनांदगांव, सरगुजा, कोरबा, भिलाई, धमतरी, रायगढ़ और महासमुंद जैसे जिलों के विद्यालय इस पहल से लाभान्वित होंगे। 

 भविष्य की योजनाएं

संपादकीय टीम ने भविष्य में सड़क सुरक्षा, स्वास्थ्य, आत्मरक्षा और वित्तीय साक्षरता जैसे विषयों पर भी ब्रेल पुस्तकें प्रकाशित करने की योजना बनाई है। यह पहल न केवल शिक्षा के क्षेत्र में समावेशिता को बढ़ावा देगी, बल्कि दृष्टिबाधित बच्चों को आत्मनिर्भर और सुरक्षित जीवन जीने के लिए प्रेरित करेगी।

उपमुख्यमंत्री का आश्वासन

श्री अरुण साव ने राज्य सरकार की ओर से भविष्य में भी ऐसे प्रयासों को पूर्ण समर्थन देने का वादा किया। उन्होंने कहा, "छत्तीसगढ़ सरकार हर दिव्यांगजन को समान अवसर और संसाधन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।"बहरहाल यह विमोचन समारोह न केवल एक पुस्तक का लोकार्पण था, बल्कि समाज में समावेशिता, समानता और दिव्यांगजनों के प्रति जवाबदेही का प्रतीक बन गया। "आपदा से सबक" दृष्टिबाधित बच्चों के लिए एक नई उम्मीद की किरण है, जो उन्हें आपदा से निपटने और आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाएगी।