सर्पदंश ने छीना मासूमों का सहारा, मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े की पहल से बसकर के दुख में बंधी राहत की डोर
भैयाथान। ग्राम बसकर में शुक्रवार रात एक हृदयविदारक घटना ने पूरे गांव को शोक के सागर में डुबो दिया। सर्पदंश के कारण एक दंपति की असमय मृत्यु ने उनके चार मासूम बच्चों के सिर से माता-पिता का साया छीन लिया। इस त्रासदी ने न केवल परिवार, बल्कि पूरे समुदाय को गहरे दुख में डुबो दिया।
इस दुखद घटना की सूचना मिलते ही भटगांव विधायक एवं कैबिनेट मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने त्वरित और संवेदनशील कदम उठाए। उनकी पहल पर प्रशासन ने पीड़ित परिवार को तत्काल राहत प्रदान की। शनिवार को तहसीलदार शिव नारायण राठिया ने मृतक दंपति के परिजनों को ₹25,000 का चेक और ₹4,000 की नकद राशि सरपंच सुरेश सिंह के माध्यम से सौंपी। रायपुर में रहते हुए भी श्रीमती राजवाड़े ने अधिकारियों को पोस्टमार्टम, अंतिम संस्कार और आर्थिक सहायता के लिए तुरंत निर्देश दिए, जिससे परिवार को समय पर सहयोग मिल सका।
शुक्रवार रात अंतिम संस्कार के दौरान पटवारी पीतांबर कुशवाहा, सचिव नरेंद्र कुशवाहा, सरपंच सुरेश सिंह और भाजपा मंडल अध्यक्ष सुनील साहू देर रात तक शोक संतप्त परिवार के साथ खड़े रहे। मंत्री श्रीमती राजवाड़े की संवेदनशीलता और सक्रियता ने न केवल प्रशासन को त्वरित कार्रवाई के लिए प्रेरित किया, बल्कि बच्चों के भविष्य को लेकर भी आशा की किरण जगाई।
भाजपा मंडल अध्यक्ष सुनील साहू ने कहा, “माननीय मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े की त्वरित पहल और मानवीय दृष्टिकोण अनुकरणीय है। उनकी सक्रियता से परिवार को इस दुख की घड़ी में आर्थिक और भावनात्मक संबल मिला।” उन्होंने बताया कि मंत्री ने बच्चों की शिक्षा और भरण-पोषण के लिए दीर्घकालिक कदम उठाने का आश्वासन दिया है। श्रीमती राजवाड़े ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त करते हुए बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।इस दौरान जनपद सदस्य इंद्रावती राजवाड़े, नरेंद्र साहू, तरुण सिंह, रक्षेंद्र प्रताप सिंह और बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे, जो इस दुखद घड़ी में एकजुटता का प्रतीक बना। मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े की संवेदनशील नेतृत्व और त्वरित कार्रवाई ने इस त्रासदी में समाज के सामने एक मानवीय उदाहरण पेश किया।
मानवीय संवेदना की फिर से पेश कि मिशाल: चार मासूम बच्चों का एक ही रात में अनाथ हो जाना किसी भी समाज के लिए हृदयविदारक है। श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े की संवेदनशीलता और त्वरित सहायता ने न केवल परिवार को राहत दी, बल्कि यह भी दिखाया कि नेतृत्व और समाज मिलकर दुख की इस घड़ी में एक-दूसरे का सहारा बन सकते हैं। यह छोटी सी मदद उन बच्चों के लिए एक नई उम्मीद की किरण है, जो अपने माता-पिता के बिना जीवन की नई शुरुआत करने को मजबूर हैं।