तमोर पिंगला अभ्यारण्य में हाथियों का आतंक, ग्रामीण को कुचलकर उतारा मौत के घाट

तमोर पिंगला अभ्यारण्य में हाथियों का आतंक, ग्रामीण को कुचलकर उतारा मौत के घाट
तमोर पिंगला अभ्यारण्य में हाथियों का आतंक, ग्रामीण को कुचलकर उतारा मौत के घाट

सूरजपुर। जिले के जंगल अब खौफ का दूसरा नाम बन चुका है। सूरज ढलते ही गांवों में सन्नाटा पसर जाता है और लोग घरों में दुबकने को मजबूर हैं। जंगली हाथियों का आतंक आए दिन मौत का तांडव मचा रहा है। ताजा मामला तमोर पिंगला अभ्यारण्य में 55 वर्षीय बंधु टोप्पो, जिन्हें पंचगड़ई जंगल में हाथियों ने बेरहमी से कुचलकर मार डाला।दरअसल 26 अगस्त की दोपहर करीब 3 बजे बंधु अपने भतीजे नितेश लकड़ा और साथी स्थेपन कुजूर के साथ जंगल में बांस खुखड़ी बटोरने गए थे। घने जंगल की सन्नाटे भरी खामोशी अचानक झाड़ियों की सरसराहट से टूटी। धजहवा पहाड़ के पास हाथियों का झुंड सामने आ खड़ा हुआ। दहशत में तीनों अलग-अलग दिशाओं में भागे। नितेश और स्थेपन गांव पहुंच गए, लेकिन बंधु जंगल की अंधेरी गहराइयों में गुम हो गए।27 अगस्त को वन विभाग ने सघन तलाशी शुरू की। दोपहर करीब डेढ़ बजे खून से लथपथ धरती और बिखरी झाड़ियों के बीच बंधु का क्षत-विक्षत शव मिला। हाथियों ने उन्हें सूंड़ में लपेटकर बार-बार जमीन पर पटककर मौत के घाट उतार दिया था। गहरे घाव, टूटी हड्डियां और भयावह निशान इस क्रूर नरसंहार की कहानी बयां कर रहे थे।ग्रामीणों के लिए यह दृश्य किसी दहला देने वाले सपने से कम नहीं था। जंगल की खामोशी में अब भी हाथियों की डरावनी चिंघाड़ गूंज रही थी। रात अधिक होने के कारण शव का पोस्टमार्टम 28 अगस्त को ओड़गी स्वास्थ्य केंद्र में हुआ। शव सौंपते वक्त गांव में मातम छाया रहा। वन विभाग ने अंतिम संस्कार तक निगरानी रखी और परिजनों को 25,000 रुपये की तत्कालिक सहायता दी।

कब थमेगा जंगल का खौफ...? 

सूरजपुर जिले के जंगलों में हाथियों का यह कहर नया नहीं है। आए दिन होने वाली ऐसी घटनाएं ग्रामीणों के लिए जी का जंजाल बन चुकी हैं। जंगल में जाने से लोग डरने लगे हैं, लेकिन आजीविका की मजबूरी उन्हें बार-बार खतरे की ओर धकेल रही है। सवाल वही है—यह खौफ कब तक...?