धान के खेत में सादगी की मिसाल: मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने बरकरार रखा छत्तीसगढ़ी माटी से नाता

धान के खेत में सादगी की मिसाल: मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने बरकरार रखा छत्तीसगढ़ी माटी से नाता
धान के खेत में सादगी की मिसाल: मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने बरकरार रखा छत्तीसगढ़ी माटी से नाता

सूरजपुर, 23 जुलाई 2025: बरसात की फुहारों के बीच छत्तीसगढ़ के खेतों में धान की रोपाई की रौनक छाई है। इस मौसम में हर तरफ हरियाली और मेहनत की खुशबू बिखर रही है। इसी बीच, महिला बाल विकास एवं समाज कल्याण मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े की एक सादगीभरी तस्वीर ने न केवल खेतों की मिट्टी को सुगंधित किया, बल्कि लोगों के दिलों को भी छू लिया। 

मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया एकाउंट पर एक तस्वीर साझा की, जिसमें वे खेत में ग्रामीण महिलाओं के साथ धान के थहरा (पौध) उखाड़ती नजर आ रही हैं। मिट्टी से सने उनके हाथ, चेहरे पर आत्मीय मुस्कान और आंखों में अपनी माटी के प्रति गहरा लगाव साफ झलक रहा है। यह तस्वीर न सिर्फ उनकी सादगी को दर्शाती है, बल्कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और अस्मिता को भी जीवंत करती है। 

छत्तीसगढ़ी में जताई माटी से मोहब्बत

अपने पोस्ट में मंत्री ने छत्तीसगढ़ी भाषा में अपने दिल की बात कही: *“आज जम्मो काम-काज के भीड़-भाड़ ले समय निकाल के अपन खेत पहुंचे रहेंव। रोपा बर धान के थहरा उखाड़त बेरा, बड़ दिन बाद माटी के ओ सुगंध ला ले पायेंव। ओ दिन के बेरा मोला आजो साफ-साफ सुरता आथे – जब हमन जम्मो परिवार संग खेत म उतर के रोपा लगावत रहेंन।”

उन्होंने आगे लिखा: “धान – सिरिफ फसल नो हे, ये हमर अस्मिता आय। ओ माटी जेमे हमर पसीना मिलय हे, ओमा हमर संस्कार जड़ पकड़े हवय। छत्तीसगढ़ के माटी, ओमा उपजत धान, अउ ओ धान ला रोपेइया हाथ – येच हमर असली संस्कृति आय। हमर जिम्मेदारी हे, के ए धरोहर ला हमन सम्हाल के रखन।”

पोस्ट के अंत में “जय जोहार, जय छत्तीसगढ़ महतारी” लिखकर उन्होंने प्रदेशवासियों से इस सांस्कृतिक और कृषि धरोहर को सहेजने की भावनात्मक अपील की। 

सादगी और संस्कृति का संगम  

यह तस्वीर और संदेश छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गया है। खेतों में मेहनत करतीं महिलाओं के बीच एक मंत्री का इस तरह शामिल होना न केवल उनकी जड़ों से जुड़ाव को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि सत्ता और जिम्मेदारी के बीच भी अपनी मिट्टी की सुगंध को भुलाया नहीं जा सकता। यह दृश्य उस मेहनतकश जीवन की याद दिलाता है, जो छत्तीसगढ़ की आत्मा है। 

सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को लेकर लोग खूब सराहना कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “हमर छत्तीसगढ़ के माटी अउ संस्कृति के सम्मान करइया हावय। मंत्री जी के सादगी ला नमन।” एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, “ये तस्वीर हमन ला अपन जड़ से जोड़े रखथे, चाहे हम कतका व्यस्त काबर न हो जाएं।”

खेतों से निकली प्रेरणा

लक्ष्मी राजवाड़े का यह कदम न सिर्फ उनकी निजी जिंदगी की सादगी को उजागर करता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और खेती-किसानी का गहरा रिश्ता है। धान के खेतों में उनकी उपस्थिति यह बताती है कि चाहे कितनी भी ऊंची जिम्मेदारी हो, अपनी मिट्टी और मेहनत से जुड़ा इंसान हमेशा अपनी जड़ों को याद रखता है। कुलमिलाकर यह तस्वीर और संदेश छत्तीसगढ़ के हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है, जो अपनी संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखना चाहता है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारी माटी, हमारा धान और हमारी मेहनत ही हमारी असली पहचान है।