मंत्री केदार कश्यप पर मारपीट का आरोप, कांग्रेस ने किया पुतला दहन, बर्खास्तगी की मांग

मंत्री केदार कश्यप पर मारपीट का आरोप, कांग्रेस ने किया पुतला दहन, बर्खास्तगी की मांग
मंत्री केदार कश्यप पर मारपीट का आरोप, कांग्रेस ने किया पुतला दहन, बर्खास्तगी की मांग

अम्बिकापुर। बस्तर के जगदलपुर सर्किट हाउस में मंत्री केदार कश्यप द्वारा कर्मचारी खितेन्द्र पांडे के साथ मारपीट और जातिसूचक गालियां देने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। घटना के विरोध में  जिला कांग्रेस कमेटी सरगुजा ने घड़ी चौक में मंत्री का पुतला दहन किया और मुख्यमंत्री से उनकी तत्काल बर्खास्तगी की मांग की।कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सत्ता के नशे में चूर मंत्री ने एक लकवाग्रस्त शासकीय कर्मचारी को अपशब्द कहे और थप्पड़-जूते से पीटा। पीड़ित कर्मचारी ने पुलिस को दिए आवेदन में कहा है कि कमरे पहले से खुले थे और वह नाश्ता बनाने गया था। इसके बावजूद मंत्री ने जातिसूचक गालियां दीं और मारपीट की।

पूरे प्रदेश में विरोध का ऐलान

प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इस घटना को बेहद आपत्तिजनक और आपराधिक करार देते हुए पूरे छत्तीसगढ़ में पुतला दहन करने का निर्णय लिया है।इसी कड़ी में अम्बिकापुर शहर में विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दरम्यान जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक ने कहा—जो व्यक्ति कर्मचारियों की भावना नहीं समझ सकता, उन्हें प्रताड़ित करता है और जातिसूचक गालियां देता है, उसे मंत्रिमंडल में बने रहने का कोई हक नहीं है। कांग्रेस मुख्यमंत्री से मंत्री की बर्खास्तगी की मांग करती है।इस मौके पर अजय अग्रवाल, शफी अहमद, द्वितेंद्र मिश्रा, हेमंत सिन्हा, विनीत विशाल जायसवाल, सीमा सोनी, संजीव मंदिलवार, इरफान सिद्धकी, गुरुप्रीत सिद्धू, संजय सिंह, रसीद अहमद, रजनीश सिंह, प्रीति सिंह, जीवन यादव, अविनाश कुमार, अंकित जायसवाल, अनुराधा सिंह, आरती महंत समेत बड़ी संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ता मौजूद रहे।

पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव का तीखा वार

पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा—“यह घटना सत्ता के अहंकार और असंवेदनशीलता को उजागर करती है। भाजपा सरकार में जब कर्मचारी ही सुरक्षित नहीं हैं तो जनता क्या सुरक्षित रहेगी? लोकतंत्र में जनता की सेवा करने वालों के साथ दुर्व्यवहार अस्वीकार्य है।”श्री सिंहदेव ने प्रदेश सरकार से सीधा सवाल किया कि क्या ऐसे मंत्रियों पर कार्रवाई होगी या सत्ता के दबाव में मामला दबा दिया जाएग..?