मैनपाट में सियासी हलचल: पूर्व मंत्री अमरजीत भगत हिरासत में, कांग्रेसियों ने की नारेबाजी
अम्बिकापुर, 09 जुलाई 2025 ब्रेकिंग।जिले के मैनपाट में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के अंतिम दिन सियासी पारा चरम पर पहुंच गया। किसानों को खाद-बीज की समस्या को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने निकले पूर्व मंत्री अमरजीत भगत और उनके समर्थकों को पुलिस ने रास्ते में रोककर हिरासत में ले लिया। इसके बाद कमलेश्वरपुर थाने में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। अबतक सामने आई जानकारी अनुसार पूर्व मंत्री अमरजीत भगत अपने समर्थकों के साथ मैनपाट में चल रहे भाजपा प्रशिक्षण शिविर स्थल की ओर बढ़ रहे थे। उनका उद्देश्य किसानों के लिए खाद और बीज की किल्लत के मुद्दे पर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपना था। लेकिन रास्ते में पुलिस ने उन्हें रोक लिया। भगत और उनके समर्थकों ने नारेबाजी करते हुए आगे बढ़ने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर कमलेश्वरपुर थाने ले गई।
पुलिस की कार्रवाई पर भगत का तीखा विरोध
थाने में पहुंचने के बाद भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश कम नहीं हुआ। उन्होंने पुलिस कार्रवाई के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने इस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों का हनन करार दिया। उन्होंने कहा, "किसानों की आवाज उठाना हमारा अधिकार है। सरकार और पुलिस का यह रवैया लोकतंत्र के लिए खतरा है। हम किसानों की समस्याओं को उठाते रहेंगे।"
किसानों की समस्या बना मुद्दा
अमरजीत भगत ने आरोप लगाया कि प्रदेश में किसानों को खाद और बीज की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है, जिसके लिए सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर वे मुख्यमंत्री से मिलकर ज्ञापन सौंपना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी इस कार्रवाई को अलोकतांत्रिक बताते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
सियासी पारा बढ़ने के आसार
इस घटना ने मैनपाट में सियासी माहौल को और गर्म कर दिया। एक तरफ भाजपा का प्रशिक्षण शिविर चल रहा था, तो दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से किसानों के मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन ने दोनों दलों के बीच तनातनी को और बढ़ा दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस घटना से क्षेत्र में राजनीतिक सरगर्मी और तेज हो गई है।कुल मिलाकर, मैनपाट में यह राजनीतिक घटनाक्रम न केवल किसानों की समस्याओं को उजागर करती है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सियासत में एक नया मोड़ भी ला सकती है। कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में और तीखी बयानबाजी की संभावना है।