सड़कों पर मौत का तांडव: 6 माह में 139 की जान गई, 176 घायल, यातायात पुलिस की सख्ती पर भारी पड़ रही लापरवाही
सूरजपुर। जिले की सड़कें अब सुरक्षित नहीं, बल्कि मौत का पर्याय बन चुकी हैं। हर दिन गूंजती सायरन की आवाजें, टूटी-फूटी गाड़ियों के मंजर और परिवारों की चीख-पुकार जिले को दहशत में डुबो रहे हैं। इस साल के पहले 6 महीनों में 218 सड़क हादसों ने 139 परिवारों को उजाड़ दिया, जबकि 176 लोग अस्पतालों में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। जून माह में ही 32 हादसों में 22 लोगों की मौत हुई और 28 लोग घायल हुए। यातायात पुलिस की तमाम कोशिशों, जागरूकता अभियानों और सख्ती के बावजूद आमजनों की लापरवाही हादसों को रोकने में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। लोग कहते हैं, अगर हेलमेट पहना होता और रफ्तार पर काबू होता, तो शायद अनमोल जिंदगियां बच सकती थीं। कुलमिलाकर सूरजपुर जिले में बढ़ते सड़क हादसे एक कड़वी सच्चाई हैं कि सड़क सुरक्षा सिर्फ पुलिस की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। यातायात पुलिस की सख्ती, जागरूकता अभियान और चालान की कार्रवाई तब तक बेअसर रहेंगी, जब तक लोग खुद नियमों का पालन नहीं करेंगे। हर हादसा पीछे छोड़ जाता है टूटे हुए परिवार और डर में जीता एक समुदाय। सवाल यह है कि और कितनी जिंदगियां खोएंगे, तब जाकर लोग सड़क सुरक्षा को गंभीरता से लेंगे...? जैसा कि यातायात पुलिस प्रभारी श्री बृजकिशोर पाण्डेय ने कहा, "हम हर सड़क, हर चालक के पीछे नहीं हो सकते। अब समय है कि सूरजपुर की जनता अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी ले।" आइए, हेलमेट पहनें, रफ्तार पर लगाम लगाएं और नियमों का पालन करें, ताकि सूरजपुर की सड़कें सुरक्षित सफर का जरिया बनें, न कि लापरवाही का कब्रिस्तान।
तेज रफ्तार, बिना हेलमेट और नशा: हादसों की तिकड़ी
जिला यातायात प्रभारी श्री बृजकिशोर पाण्डेय ने बताया, "सड़क हादसों के पीछे तीन प्रमुख कारण हैं- तेज रफ्तार, बिना हेलमेट ड्राइविंग और शराब के नशे में वाहन चलाना।" उन्होंने जोर देकर कहा कि हेलमेट और सीट बेल्ट जैसी छोटी सावधानियां जिंदगी बचा सकती हैं, लेकिन लोग इन्हें नजरअंदाज कर अपनी और दूसरों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। यातायात पुलिस की टीमें दिन-रात सड़कों पर तैनात हैं, चेकिंग और जागरूकता अभियान चला रही हैं, फिर भी नियम तोड़ने की प्रवृत्ति कम नहीं हो रही।
6 महीने में करीब 59 लाख का चालान, फिर भी नहीं सुधरे चालक
यातायात विभाग के आंकड़े बताते हैं कि बीते 6 महीनों में करीब 17,628 लापरवाह वाहन चालकों पर कार्रवाई की गई, जिनसे करीब 59 लाख 49 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया। सूरजपुर तिराहा, मुख्य चौराहों और हाईवे पर नियमित चेकिंग अभियान चलाए जा रहे हैं। बिना हेलमेट, तेज रफ्तार और ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर चालान काटे जा रहे हैं। इसके बावजूद, कई चालक नियमों को ठेंगा दिखाते हुए बेफिक्र होकर गाड़ियां दौड़ा रहे हैं। पाण्डेय ने अफसोस जताते हुए कहा, "हमारी सख्ती और जागरूकता अभियान तभी कामयाब होंगे, जब लोग खुद अपनी जिम्मेदारी समझें।"
हादसों का खौफनाक मंजर: हर दिन एक त्रासदी
आंकड़े जिले की भयावह स्थिति को बयां करते हैं:
जनवरी: करीब 40 हादसे, करीब 26 मौतें, करीब 26 घायल
फरवरी: करीब 31 हादसे, करीब 19 मौतें, करीब 27 घायल
मार्च: करीब 47 हादसे, करीब 31 मौतें, करीब 27 घायल
अप्रैल: करीब 34 हादसे, करीब 23 मौतें, करीब 41 घायल
मई: करीब 34 हादसे, करीब 18 मौतें, करीब 27 घायल
जून: करीब 32 हादसे, करीब 22 मौतें, करीब 28 घायल
ये आंकड़े चीख-चीखकर बता रहे हैं कि सूरजपुर में औसतन हर दिन एक सड़क हादसा हो रहा है, जिसमें अधिकांश मामलों में मौतें या गंभीर चोटें हो रही हैं।
यातायात पुलिस की मुस्तैदी, लेकिन जनता की बेपरवाही
यातायात पुलिस ने हादसों को रोकने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। सूरजपुर तिराहे पर ऑटो, टेंपो और ई-रिक्शा चालकों के लिए जागरूकता कैंप आयोजित किए गए हैं। शहर भर में बैनर-पोस्टर लगाए गए हैं, नुक्कड़ सभाएं की जा रही हैं और सोशल मीडिया के जरिए नियमों का पालन करने की अपील हो रही है। हाईवे और प्रमुख चौराहों पर चेकपॉइंट्स के जरिए 24 घंटे निगरानी की जा रही है। बिना हेलमेट, तेज रफ्तार और नशे में वाहन चलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो रही है। फिर भी, जनता की लापरवाही पुलिस की मेहनत पर भारी पड़ रही है। खासकर दोपहिया वाहन चालक हेलमेट पहनने, गति सीमा का पालन करने और ट्रैफिक सिग्नल मानने जैसे बुनियादी नियमों को अनदेखा कर रहे हैं।
जिंदगी बचाने के लिए ये जरूरी कदम
हादसों की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए विशेषज्ञ और यातायात अधिकारी निम्नलिखित सुझाव दे रहे हैं:
- हेलमेट अनिवार्य: दोपहिया वाहनों में सिर की चोट सबसे ज्यादा जान ले रही है। अच्छी गुणवत्ता वाला हेलमेट जिंदगी बचा सकता है।
गति सीमा का पालन: तेज रफ्तार हादसों की सबसे बड़ी वजह है। भीड़भाड़ वाली सड़कों और हाईवे पर गति सीमा का पालन करें।
नशे में ड्राइविंग न करें: शराब पीकर गाड़ी चलाना खुद की और दूसरों की जिंदगी से खिलवाड़ है।
ट्रैफिक नियम मानें: सिग्नल तोड़ना या गलत दिशा में वाहन चलाना हादसों को न्योता देता है। सड़क संकेतों का पालन करें।
वाहन की देखभाल: ब्रेक, लाइट और टायर की नियमित जांच करें ताकि तकनीकी खराबी से हादसे न हों।