सूरजपुर के साहित्यकार शिवराज आनंद बने 'अंतर्राष्ट्रीय आइकन', राष्ट्रीय स्तर पर चमकी प्रतिभा

सूरजपुर के साहित्यकार शिवराज आनंद बने 'अंतर्राष्ट्रीय आइकन', राष्ट्रीय स्तर पर चमकी प्रतिभा
सूरजपुर के साहित्यकार शिवराज आनंद बने 'अंतर्राष्ट्रीय आइकन', राष्ट्रीय स्तर पर चमकी प्रतिभा

सूरजपुर। जिले से ताल्लुक रखने वाले लेखक और कवि शिवराज आनंद (मूल नाम शिव कुमार साहू) ने साहित्य जगत में नई ऊंचाइयां छू ली हैं। हाल ही में उन्हें 'अंतर्राष्ट्रीय आइकन अवार्ड 2025' से नवाजा गया है, जो उनकी दो दशकों की रचनात्मक यात्रा का शानदार मुकाम है। साहित्य के प्रति गहरी रुचि रखने वाले शिवराज की कलम ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी छाप छोड़ी है।शिवराज का जन्म 4 मई 1987 को सोनपुर (विकास खंड- रामानुजनगर, जिला सूरजपुर) में हुआ। उनके पिता विश्वनाथ और माता पार्वती ने उन्हें संस्कार दिए, जबकि धर्मपत्नी कृष्णी कुमारी उनके जीवन की मजबूत साथी हैं। हिंदी भाषा में स्नातक शिवराज का व्यवसाय लेखन और कविता है, जहां पढ़ना, लिखना और खेलना उनके प्रमुख शौक हैं। साहित्य के प्रति उनकी रुचि ने उन्हें गद्य और पद्य दोनों विधाओं में महारत हासिल कराई।शिवराज कहते हैं, "साहित्य मेरी सांस है, जो समाज को नई दिशा देता है।" उनके जैसे रचनाकार छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। सूरजपुर जैसे छोटे इलाके से निकलकर वैश्विक मंच पर पहुंचना युवाओं के लिए बड़ा संदेश है।

दो दशक की साहित्यिक साधना, दर्जनों कृतियां

शिवराज पिछले दो दशकों से साहित्य लेखन में सक्रिय हैं। उनकी प्रमुख कृतियां जैसे 'जीवन की सोच', 'मेरी आवाज', 'जिओ उनके लिए', 'मां की महिमा', 'प्रेम-जगत', 'हम कलियुग के प्राणी हैं', 'घर का भेद', 'जगत का जंजाल-संसृति', 'यहां उनका भी दिल जोड़ दो', 'उठो युवा तुम उठो ऐसे', 'मानवता के डगर पे' और 'बेवफा अपनों के लिए' ने पाठकों को गहराई से प्रभावित किया है। इन रचनाओं में जीवन, प्रेम, मानवता और सामाजिक मुद्दों की झलक मिलती है। कई साहित्य पत्रिकाओं में उनकी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है, साथ ही साहित्यपीडिया में भी वे सक्रिय हैं। छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग से रजिस्टर्ड (चिन्हारी TKN No.: TKN202200003718) होने से उनकी पहचान और मजबूत हुई है।

अवार्ड्स की झड़ी, राष्ट्रीय से अंतर्राष्ट्रीय तक

शिवराज की उपलब्धियां किसी प्रेरणा से कम नहीं। 2020 में 'राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान', 2021 में 'फेस ऑफ इंडिया अवार्ड', 2022 में 'नेशनल आइकन अवार्ड', 2024 में 'श्री राघव सम्मान' और अब 2025 में 'अंतर्राष्ट्रीय आइकन अवार्ड' ने उन्हें साहित्य का चमकता सितारा बना दिया है। ये सम्मान उनकी कलम की ताकत और समर्पण का प्रमाण हैं।