हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: आबकारी अधिकारी रंजीत गुप्ता के खिलाफ दर्ज FIR रद्द, कानून के दुरुपयोग पर लगाई फटकार
अम्बिकापुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सहायक जिला आबकारी अधिकारी रंजीत गुप्ता को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ चिरमिरी थाने में दर्ज आपराधिक मामले (क्राइम नंबर 288/2024) को रद्द कर दिया। यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 309(6), 3(5) और 308(2) के तहत दर्ज किया गया था। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्ता गुरु की डबल बेंच ने सुनवाई के बाद यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।
रंजीत गुप्ता, जो आबकारी विभाग में उड़नदस्ते की शक्तियों के साथ कार्यरत हैं, ने 13 नवंबर 2024 को हल्दीबाड़ी में गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर 900 ग्राम गांजा जब्त किया था। इस कार्रवाई के बाद शिकायतकर्ता ने गुप्ता और अन्य आबकारी कर्मचारियों पर मारपीट, कोरे कागज पर हस्ताक्षर करवाने और दो लाख रुपये की उगाही का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई थी।
हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई के दौरान पाया कि गुप्ता ने वैधानिक शक्तियों के तहत कार्रवाई की थी। कोर्ट ने कहा, शासकीय अधिकारी द्वारा विभागीय आदेशों के तहत की गई कार्रवाई को जबरन वसूली के रूप में नहीं देखा जा सकता। कोर्ट ने FIR को कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करार देते हुए इसे निरस्त कर दिया और जांच एजेंसियों को तथ्यों के आधार पर कार्रवाई करने की नसीहत दी। यह फैसला उन शासकीय अधिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण नजीर के रूप में देखा जा रहा है, जो वैधानिक शक्तियों के तहत कार्य करते हुए आरोपों का सामना करते हैं।