कड़कड़ाती ठंड में अम्बिकापुर बेहाल: अलाव गायब, गरीबों की रातें खतरे में
अम्बिकापुर। सरगुजा संभाग की राजधानी में इस बार नवंबर ने ही जनवरी जैसी ठिठुरन ला दी है। पारा 6-7 डिग्री तक लुढ़क चुका है, लेकिन शहर में अलाव की सरकारी व्यवस्था पूरी तरह गायब है। नतीजा—ढलती शाम के बाद सड़कों पर खुले आसमान के नीचे ठिठुरते मजदूर, रिक्शा चालक, स्ट्रीट वेंडर, बच्चे और बुजुर्ग… जिनकी रातों का सहारा अब प्लास्टिक और कागज की आग बन गई है।मौसम विभाग मान चुका है कि इस बार ठंड पिछले वर्ष से कहीं ज्यादा कड़क है। दिन का तापमान भी 15 डिग्री से ऊपर नहीं चढ़ पा रहा। ऐसे में शहर के मुख्य चौक-चौराहों, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर अलाव की व्यवस्था न होना सीधी प्रशासनिक लापरवाही मानी जा रही है।पिछले साल नगर निगम और जिला प्रशासन की ओर से जगह-जगह अलाव जलाए गए थे, लेकिन इस साल स्थिति उलट है। न रैन बसेरों में पर्याप्त इंतजाम, न सड़कों पर अलाव ठंड का कहर दोगुना हो चुका है। वहीं दूसरी तरफ छोटे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की हालत सबसे ज्यादा खराब। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, ठंड से जुड़ी बीमारियों के मरीजों में 30% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अस्पतालों में सर्दी-खांसी, बुखार और सांस की दिक्कत से पीड़ित लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है।सबसे बड़ा सवाल—क्या प्रशासन पहली ठिठुरन की दस्तक के बाद भी जागेगा..?या शहर का गरीब वर्ग इसी तरह प्लास्टिक की जहरीली आग में रातें काटने को मजबूर रहेगा..?