कार में बच्चे का जन्म, मां की चीखें गूंजीं: मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े की दों टूक 'मातृशक्ति की पीड़ा मेरा दर्द, दोषी बख्शे नहीं जाएंगे"
सूरजपुर। एक मां की प्रसव पीड़ा की चीखें स्वास्थ्य केंद्र के ताले पर ठोकर खा गईं, और कार की सीट पर नन्ही जान ने पहली सांस ली। यह दृश्य न सिर्फ एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की क्रूर लापरवाही का आईना भी। ओड़गी विकासखंड के लांजीत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर रविवार सुबह का यह काला अध्याय मातृशक्ति के सम्मान पर करारा प्रहार है। लेकिन इस अंधेरे में उम्मीद की किरण बनीं भटगांव विधायक व कैबिनेट मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े। घटना की खबर मिलते ही उन्होंने न सिर्फ त्वरित जांच के आदेश दिए, उनकी सक्रिय भूमिका ने दोषियों में खलबली मचा दी और ग्रामीणों के दिलों में नई आशा जगा दी। 'मां का दर्द मेरा दर्द है', यह उनका संकल्प है, जो जवाबदेह प्रशासन को मजबूत बनाने की उनकी अटूट प्रतिबद्धता को उजागर करता है।
मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े की संवेदनशील सक्रियता:जताई नाराजगी दोषियों पर सख्त गरज
इस दिल दहला देने वाली घटना की पल-पल की जानकारी सोशल मीडिया और स्थानीय सूत्रों से मिलते ही कैबिनेट मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने न केवल स्वास्थ्य विभाग को तत्काल जांच के सख्त निर्देश दिए, वरन स्थानीय स्तर पर प्रभावित परिवार को समुचित सुविधा का लाभ मिले इस दिशा में भी पहल किया है। साथ ही ग्रामीणों से फीडबैक लिया—यह उनकी मानवीय संवेदना का जीता-जागता प्रमाण है।
मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने भावुक स्वर में कहा, "भटगांव विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ओड़गी विकासखंड के लांजित उप-स्वास्थ्य केंद्र में प्रसूता महिला को समय पर उपचार न मिलने की जो शिकायत सामने आई है, वह अत्यंत गंभीर है। यह मातृशक्ति के सम्मान पर सीधी चोट है। मैंने इस पूरे प्रकरण की तत्काल जांच के निर्देश दिए हैं। यदि शिकायतें सत्य पाई जाती हैं, तो संबंधित जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। मेरे विधानसभा क्षेत्र में मां का दर्द कभी बर्दाश्त नहीं होगा—यह मेरा व्यक्तिगत संकल्प है।"
उनकी यह त्वरित और संवेदनशील कार्रवाई ने लापरवाह अधिकारियों-कर्मचारियों में हड़कंप मचा दिया। ग्रामीण उनकी सराहना कर रहे हैं: "मंत्री जी ने न सिर्फ सुना, बल्कि महसूस किया। उनकी सक्रियता से लगता है कि अब बदलाव आएगा।" श्रीमती राजवाड़े की यह भूमिका उनकी जनहितैषी छवि को और मजबूत करती है, जहां वे हमेशा ग्रामीण स्वास्थ्य को प्राथमिकता देती हैं। जवाबदेह प्रशासन को सुव्यवस्थित बनाने का उनका प्रयास अब रंग लाने लगा है—स्टाफ की निगरानी, 24x7 सेवाएं और सख्ती का संदेश साफ है।
उम्मीद की किरण: सुधार की मांग, मंत्री की निगरानी में न्याय
ग्रामीण अब कह रहे हैं, "जांच हो, लेकिन स्थायी हल चाहिए—नियमित स्टाफ, त्वरित एम्बुलेंस और सख्त निगरानी।" मंत्री जी की नजरों में चल रही जांच से यकीन है कि दोषी पर सख्त कार्रवाई होंगी। यह घटना श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े जैसी संवेदनशील नेता की मौजूदगी में मातृशक्ति का सम्मान बहाल होने की पूरी संभावना है। आखिर, एक मां की मुस्कान ही सबसे बड़ा पुरस्कार है।