छोटे वाहनों पर कार्रवाई, बड़े तस्कर बेखौफ, जिला प्रशासन की दोहरी नीति पर सवाल

छोटे वाहनों पर कार्रवाई, बड़े तस्कर बेखौफ, जिला प्रशासन की दोहरी नीति पर सवाल

सूरजपुर, 18 मई 2025। जिले में अवैध रेत, पत्थर, कोयला सहित अन्य गौण खनिजों का खनन और तस्करी का काला कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा। हाल ही में बलरामपुर जिले में रेत तस्करों द्वारा एक पुलिस आरक्षक की हत्या और हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में स्वत: संज्ञान लिए जाने के बाद जिला प्रशासन ने गौण खनिजों के अवैध परिवहन पर कार्रवाई तेज कर दी है। लेकिन, जनचर्चाओं में प्रशासन की इस कार्रवाई को 'दोहरी नीति' करार दिया जा रहा है, क्योंकि छोटे स्तर के वाहन चालकों पर शिकंजा कसा जा रहा है, जबकि बड़े रेत माफिया बेखौफ होकर कोयला, पत्थर और रेत का अवैध खनन व भंडारण कर रहे हैं। कुलमिलाकर सूरजपुर जिले में अवैध खनन का यह गोरखधंधा न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि सरकारी खजाने को भी चपत लगा रहा है। स्थानीय लोग अब प्रशासन से ठोस और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन बड़े माफियाओं के अघोषित गठजोड़ को तोड़ पाएगा, या यह कार्रवाई केवल कागजी दिखावा बनकर रह जाएगी...? इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं।

संयुक्त टीम की कार्रवाई, फिर भी अधूरी तस्वीर

 जिला प्रशासन द्वारा जारी ताजा प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, कलेक्टर के निर्देश पर खनिज और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम ने ग्राम हर्राटिकरा और जयनगर क्षेत्र में छापेमारी कर अवैध रेत परिवहन में शामिल दो वाहनों को जब्त किया। इन वाहनों को जयनगर थाने की अभिरक्षा में रखा गया है, और वाहन मालिकों के खिलाफ खनिज नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन की यह कार्रवाई भले ही सख्ती का संदेश दे रही हो, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यह केवल 'खानापूर्ति' है। 

बड़े माफियाओं पर कार्रवाई क्यों नहीं..? 

जिले में बड़े तस्कर विभिन्न कार्यों की आड़ में अवैध खनन और भंडारण का धंधा बेरोकटोक चला रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, ये माफिया न केवल रेत, बल्कि कोयला और पत्थर जैसे खनिजों का भी अवैध दोहन कर रहे हैं, जिसे बाद में बड़े निर्माण प्रोजेक्ट्स में खपाया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि जिला प्रशासन और खनिज विभाग की नजर इन बड़े खिलाड़ियों पर नहीं पड़ रही। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कुछ अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त होने के कारण ये तस्कर बेखौफ हैं। 

जनचर्चा में प्रशासन की 'दोहरी नीति'

जिले में अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई के बाद प्रशासन द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसे सार्वजनिक करना आम बात हो गई है। लेकिन, स्थानीय लोग इसे 'दिखावा' मानते हैं। जनचर्चाओं में खनिज और अन्य विभागों पर बड़े तस्करों को संरक्षण देने के आरोप लग रहे हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कब तक प्रशासन छोटे वाहन चालकों को निशाना बनाकर अपनी पीठ थपथपाता रहेगा..? बड़े माफियाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई कब होगी..?