प्री-मैट्रिक बालक छात्रावास में कानूनी जागरूकता शिविर, बच्चों को दी POCSO और सोशल मीडिया की जानकारी
सूरजपुर, 03 अगस्त 2025। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सूरजपुर ने माननीय श्रीमती विनीता वार्नर, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन और माननीय श्री आनंद प्रकाश वारियाल, जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय के निर्देशन में प्री-मैट्रिक बालक छात्रावास में एक कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया। यह शिविर बच्चों को कानूनी अधिकारों और सोशल मीडिया के सुरक्षित उपयोग के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।
शिविर के मुख्य अतिथि और वक्ता श्री आनंद प्रकाश वारियाल ने बच्चों को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 (POCSO) के प्रावधानों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बच्चों को बताया कि इस अधिनियम का उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण और उत्पीड़न से बचाना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बच्चों की न्यूड तस्वीरें या वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करना या शेयर करना गंभीर अपराध है, जिसके लिए कठोर कानूनी सजा का प्रावधान है।न्यायाधीश ने बच्चों को सोशल मीडिया के उपयोग में सावधानी बरतने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया एक शक्तिशाली माध्यम है, लेकिन इसका गलत उपयोग गंभीर परिणाम भुगत सकता है। बच्चों को अपनी निजता की रक्षा करनी चाहिए और अनुचित सामग्री साझा करने से बचना चाहिए।" इसके साथ ही, उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत साइबर अपराधों और उनके दंड के बारे में भी बताया। इसके साथ ही शिविर में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के तहत आम नागरिकों को उपलब्ध मुफ्त कानूनी सहायता और सलाह की जानकारी दी गई। श्री वारियाल ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) की वेबसाइट और टोल-फ्री नंबर 15100 के बारे में बताया, जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति कानूनी सहायता प्राप्त कर सकता है। उन्होंने बच्चों को प्रोत्साहित किया कि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और किसी भी कानूनी समस्या के लिए प्राधिकरण से संपर्क करें।कार्यक्रम में छात्रावास अधीक्षक श्री राम ज्ञान सिंह, पैरा लीगल वालंटियर (पीएलवी) श्री सत्य नारायण, श्री उमेश कुमार राजवाड़े और बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित रहे। बच्चों ने इस शिविर में सक्रिय भागीदारी दिखाई और कानूनी जानकारी से लाभान्वित हुए।यह शिविर न केवल बच्चों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करने में सफल रहा, बल्कि समाज में कानूनी साक्षरता को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।