स्वास्थ्य सुविधाएं होंगी प्रभावित:एनएचएम कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल सोमवार से शुरू, आपातकालीन सेवाएं भी ठप

स्वास्थ्य सुविधाएं होंगी प्रभावित:एनएचएम कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल सोमवार से शुरू, आपातकालीन सेवाएं भी ठप
स्वास्थ्य सुविधाएं होंगी प्रभावित:एनएचएम कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल सोमवार से शुरू, आपातकालीन सेवाएं भी ठप

सूरजपुर। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के 16,000 से अधिक कर्मचारी सरकार की बेरुखी से नाराज होकर सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ ने काम बंद, कलम बंद और आपातकालीन सेवाओं, जिसमें विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (SNCU) शामिल है, उसको भी बंद करने का ऐलान किया है। इस हड़ताल से प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था के पूरी तरह ठप होने का खतरा मंडरा रहा है। बहरहाल सूरजपुर जिले से 640 कर्मचारी इस आंदोलन में शामिल होंगे।

कर्मचारियों की नाराजगी, 20 साल की उपेक्षा

एनएचएम कर्मचारी पिछले 20 वर्षों से स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ बने हुए हैं। कोविड-19 जैसे संकट में भी इन्होंने अहम भूमिका निभाई, लेकिन मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित हैं। कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी और प्रवक्ता पूरन दास ने बताया कि सरकार ने उनकी मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। 15 अगस्त 2025 तक मांगें पूरी न होने से नाराज कर्मचारियों ने यह कड़ा कदम उठाया है।

यह है प्रमुख मांगें....

1. संविलियन/स्थायीकरण  

2. पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना  

3. ग्रेड पे का निर्धारण  

4. कार्य मूल्यांकन में पारदर्शिता  

5. 27% लंबित वेतन वृद्धि  

6. नियमित भर्ती में सीटों का आरक्षण  

7. अनुकम्पा नियुक्ति  

8. मेडिकल व अन्य अवकाश सुविधा  

9. स्थानांतरण नीति  

10. न्यूनतम 10 लाख कैशलेस चिकित्सा बीमा  

"मोदी की गारंटी" पर सवाल

कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार के वरिष्ठ नेताओं, जैसे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी और वन मंत्री केदार कश्यप ने पूर्व में एनएचएम कर्मचारियों को समर्थन देने का वादा किया था। "मोदी की गारंटी" में भी नियमितीकरण का वादा शामिल था, लेकिन पिछले 20 महीनों में 160 से अधिक बार ज्ञापन सौंपने के बावजूद कोई समाधान नहीं निकला।

स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट

कर्मचारी संघ ने चेतावनी दी है कि हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह प्रभावित होंगी। सरकार से तत्काल संवाद और मांगों पर कार्रवाई की मांग की गई है, वरना स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी होने की जिम्मेदारी शासन की होगी।