दोस्त को बचाने की कोशिश में गई सुखराम की जान, तीन दिन बाद कुप्पा संगम रेड नदी में मिला शव

दोस्त को बचाने की कोशिश में गई सुखराम की जान, तीन दिन बाद कुप्पा संगम रेड नदी में मिला शव

सूरजपुर/ओडगी। जिले के ओड़गी थाना क्षेत्र में रविवार रात हुए दिल दहला देने वाले नदी हादसे ने एक परिवार की खुशियां छीन लीं। मइटगड़ा निवासी सुखराम पैकरा (46) का शव तीन दिन की बेकरार तलाश के बाद बुधवार सुबह कुप्पा संगम रेड नदी के किनारे मिला। दोस्त को बचाने की कोशिश में नदी की तेज धारा में बह गए सुखराम के निधन से उनका परिवार बेसुध है, और गांव में मातम पसरा है।

जन्मदिन की खुशी बनी मातम: सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार रविवार रात सुखराम अपने दो साथियों के साथ सौहार गांव में एक परिचित के जन्मदिन समारोह में शामिल होने गए थे। देर रात गंगोत्री घाट से नदी पार कर गांव लौटते वक्त यह हादसा हुआ। एक साथी नाव लाने गया, तभी दूसरा युवक अचानक नदी में कूद गया और तेज बहाव में फंस गया। दोस्त की जान बचाने की नीयत से सुखराम बिना सोचे नदी में कूद पड़े। दोनों ने काफी देर तक जिंदगी के लिए जंग लड़ी, लेकिन तेज धारा उन्हें लील गई। तीसरे साथी ने किसी तरह जान बचाकर गांव पहुंचकर हादसे की खबर दी।

तीन दिन तक टकटकी लगाए इंतजार करता रहा परिवार : हादसे की सूचना मिलते ही ओड़गी पुलिस, चंदौरा थाना स्टाफ, जिला आपदा प्रबंधन दल और ग्रामीणों ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया। दिन-रात चली खोजबीन के बाद बुधवार को ग्रामीणों ने कुप्पा संगम रेड नदी के किनारे एक शव देखा।पुलिस दल ने मौके पर पहुंचकर शव की पहचान सुखराम के रूप में की। पंचनामा के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए चिकित्सालय भेजा गया। 

परिवार का सहारा छिना, गांव में सन्नाटा:सुखराम अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले थे। उनके जाने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। गांव की गलियों में सन्नाटा है, और हर आंख नम है। सुखराम की निस्वार्थ दोस्ती और हिम्मत की मिसाल अब गांव की जुबान पर है, लेकिन उनके बिना परिवार का भविष्य अंधेरे में डूब गया है।

ग्रामीणों की पुकार: अब और जानें न जाएं :इस त्रासदी ने ग्रामीणों के जख्मों को फिर से हरा कर दिया। कुप्पा संगम रेड नदी पर स्थायी पुल की मांग जोर पकड़ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि हर बरसात के सीजन में नदी पार करना मौत को दावत देना है। प्रशासन से उनकी गुहार है कि जल्द से जल्द पुल बनाया जाए, ताकि सुखराम जैसी और जिंदगियां नदी की भेंट न चढ़ें।

एक नायक का अंत, मगर यादें रहेंगी अमर :सुखराम पैकरा सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि दोस्ती और बलिदान की मिसाल हैं। उनके निधन ने न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरे मइटगड़ा गांव को गहरे सदमे में डुबो दिया। अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन ग्रामीणों की पुकार सुनेगा, या यह नदी और जिंदगियां निगलती रहेगी...?