गढ़वतिया देवी धाम: आस्था का गढ़, कब हटेगी उपेक्षा की चट्टान

गढ़वतिया देवी धाम: आस्था का गढ़, कब हटेगी उपेक्षा की चट्टान

ओडगी/चांदनी बिहारपुर। पहाड़ी चट्टानों पर भगवान गणेश की प्राचीन प्रतिमा से सजा गढ़वतिया देवी धाम श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र है। अमावस्या, पूर्णिमा और त्यौहारों पर दूर-दूर से उमड़ते हजारों भक्त इसकी महिमा का गुणगान करते हैं, लेकिन यह पवित्र स्थल मूलभूत सुविधाओं की बाट जोह रहा है। कच्चे रास्ते, पथरीली चढ़ाई और सुविधाओं का अभाव भक्तों के जोश को चुनौती देते हैं।दुखद यह है कि धाम की प्राचीन मूर्तियां संरक्षण के अभाव में टूट रही हैं, मौसम की मार ने इनकी रौनक छीन ली है। गर्मी और बरसात में श्रद्धालुओं की मुश्किलें दोगुनी हो जाती हैं, क्योंकि सड़क, पेयजल, शौचालय और बिजली जैसी बुनियादी जरूरतें यहाँ सपना बनी हुई हैं।स्थानीय ग्रामीणों की आवाज़ बुलंद है कि गढ़वतिया धाम में धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक विरासत का यह संगम, यदि सही देखभाल मिले, तो देश-विदेश के पर्यटकों को खींच सकता है। सड़क, सुरक्षित सीढ़ियां, रोशनी और ठहरने की व्यवस्था इसे नया रंग दे सकती है।

ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से गुहार लगाई है कि मूर्तियों का संरक्षण और परिसर का कायाकल्प कर इस धाम को बचाया जाए। अगर समय रहते कदम नहीं उठे, तो यह आस्था का प्रतीक इतिहास के पन्नों में सिमट जाएगा। गढ़वतिया धाम की पुकार है—इसे संजोएं, ताकि यह धरोहर भविष्य की पीढ़ियों के लिए गर्व का सबब बने!