ग्रामीण संघर्ष के घायलों को मुफ्त इलाज, आदित्येश्वर शरण सिंहदेव की पहल से बंधी जख्मों पर मरहम

ग्रामीण संघर्ष के घायलों को मुफ्त इलाज, आदित्येश्वर शरण सिंहदेव की पहल से बंधी जख्मों पर मरहम
ग्रामीण संघर्ष के घायलों को मुफ्त इलाज, आदित्येश्वर शरण सिंहदेव की पहल से बंधी जख्मों पर मरहम

अम्बिकापुर। जिले में बीते 3 दिसंबर को ग्रामीणों और पुलिस के बीच हुए तीखे संघर्ष की चोटें अब धीरे-धीरे भरने लगी हैं। आज ग्राम परसोढि कला में संजीवनी अस्पताल अम्बिकापुर के सात सदस्यीय चिकित्सा दल ने विशेष कैंप लगाकर 43 घायल ग्रामीणों का निशुल्क इलाज किया। संघर्ष में चोटिल पांच ग्रामीणों को फ्रैक्चर की आशंका के चलते एक्स-रे कराने के लिए अस्पताल बुलाया गया है। इस मानवीय पहल के पीछे आखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य आदित्येश्वर शरण सिंहदेव की सक्रिय भूमिका है, जिन्होंने ग्रामीणों की व्यथा सुनकर तुरंत मेडिकल सहायता का इंतजाम कराया।शुक्रवार को परसोढि कला का दौरा करने के दौरान श्री सिंहदेव ने ग्रामीणों से विस्तार से बातचीत की। उन्होंने पाया कि प्रशासन ने संघर्ष के बाद घायलों को पर्याप्त इलाज नहीं दिया। कई ग्रामीणों के सिर पर गंभीर चोटें आईं, जिन्हें महज प्राथमिक उपचार के बाद घर लौटा दिया गया। बाकी आहतों को तो कोई दवा तक नसीब नहीं हुई। व्यक्तिगत कोशिशों से कुछ ग्रामीण स्थानीय स्तर पर इलाज करा पाए, लेकिन अधिकांश जख्मी हालात में तड़पते रहे। इस लापरवाही पर श्री सिंहदेव ने गहरी नाराजगी जताई और संजीवनी अस्पताल के संचालक व पूर्व महापौर डॉ. अजय तिर्की से तत्काल मेडिकल कैंप लगाने का अनुरोध किया।डॉ. तिर्की ने बताया, कुल 43 ग्रामीणों का परीक्षण व इलाज किया गया। सिर की चोटों वाले मरीजों को छोड़कर किसी को भी प्रारंभिक चिकित्सा नहीं दी गई थी। हमारी टीम ने सभी को दवाइयां व सलाह दी है। कैंप में आपातकालीन चिकित्सक डॉ. ऋषभ, डॉ. इकबाल, ड्रेसर अनिल कश्यप, नर्स सिस्टर निशा व मोनिका सहित मेडिकल स्टाफ लक्ष्मी व लालजी ने सेवा दी।इस दरम्यान श्री सिंहदेव ने घायलों को कानूनी सहायता का भी भरोसा दिलाया, ताकि न्याय की राह आसान हो। वहीं दूसरी तरफ ग्रामीणों ने श्री सिंहदेव की पहल की सराहना की। उनका मानना है कि ऐसी घटनाएं विकास की आड़ में आदिवासी संस्कृति को कुचल रही हैं। ग्रामीण उम्मीद कर रहे हैं कि इलाज के साथ न्याय भी मिलेगा।

माइनिंग का खतरा: संस्कृति-पर्यावरण बचाने सभी दलों से अपील

घटना पर श्री आदित्येश्वर शरण सिंहदेव ने कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, यह संघर्ष असंवेदनशील था। प्रशासन को ग्रामीणों का सहयोग लेना चाहिए था, न कि टकराव को बढ़ावा देना। दोनों पक्षों को चोट लगी, लेकिन ग्रामीणों का अपर्याप्त इलाज दुखद है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने सरगुजा की चिंता जताते हुए चेताया, विकास के नाम पर रामगढ़, परसोढि कला व मैनपाट में हो रही माइनिंग से हमारी संस्कृति, सभ्यता व पर्यावरण को गंभीर खतरा है। यह राजनीतिक हितों से ऊपर का मुद्दा है। सभी दलों को एकजुट होकर सरगुजा को बचाने की सामूहिक पहल करनी होगी।