भालू के हमले से ग्रामीण गंभीर रूप से घायल, तमोर पिंगला अभ्यारण्य में वन्य जीव-मानव संघर्ष फिर उजागर
सूरजपुर, 01 अगस्त 2025। जिले में वन्य जीव और मानव के बीच बढ़ता संघर्ष एक बार फिर सामने आया है। तमोर पिंगला अभ्यारण्य के पिंगला रेंज अंतर्गत रमकोला गांव के करीब 40 वर्षीय रामफल गुरुवार को भालू के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना उस समय हुई, जब रामफल जंगल में किसी काम से गया था और अचानक एक भालू और उसके शावक से उसका सामना हो गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, भालू व उसके साथ शावकों ने रामफल पर अचानक हमला कर दिया, जिससे वह बुरी तरह जख्मी हो गए। आसपास के ग्रामीणों ने जब उसे गंभीर हालत में देखा, तो तत्काल उसे रमकोला उपस्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें अंबिकापुर रेफर कर दिया। वर्तमान में उनका इलाज अम्बिकापुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चल रहा था संभवतः उनकी हालत नाजुक बनी होने पर रायपुर रेफर किया गया है। कुलमिलाकर यह घटना तमोर पिंगला अभ्यारण्य में मानव-वन्य जीव संघर्ष की गंभीर समस्या को फिर से रेखांकित करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि जंगल के संसाधनों पर बढ़ता दबाव, वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास का सिकुड़ना और जागरूकता की कमी इस समस्या को और जटिल बना रही है। इस दिशा में ठोस नीति और सामुदायिक सहभागिता के बिना ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाना मुश्किल होगा।
वन्य जीव-मानव संघर्ष का बढ़ता खतरा.....
तमोर पिंगला अभ्यारण्य, जो तकरीबन 608.52 वर्ग किलोमीटर में फैला है और भालू, तेंदुआ, सांभर,हाथी सहित अन्य वन्य जीवों का निवास स्थान है, में ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जंगल से सटे गांवों में वन्य जीवों का आना-जाना आम हो गया है, जिससे जान-माल का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीणों ने वन विभाग से जंगल में गश्त बढ़ाने और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की मांग की है।
ग्रामीणों में दहशत.....
इस घटना के बाद रमकोला और आसपास के गांवों में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि तेंदूपत्ता संग्रहण और अन्य कार्यों के लिए जंगल पर उनकी आजीविका निर्भर है, लेकिन ऐसी घटनाएं उनकी जान जोखिम में डाल रही हैं। एक स्थानीय ग्रामीण रामलाल ने बताया, वन विभाग सिर्फ कागजी कार्रवाई करता है, लेकिन जंगल में हमारी सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।